Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

मुक्तक/दोहा

दोहे : त्यौहारों पर किसी का, खाली रहे न हाथ

श्राद्ध गये तो आ गये, माता के नवरात्र। लीला का मंचन करें, रामायण के पात्र।। — विजयादशमी साथ में, लाती

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