गीतिका
अजीब सी दोराहे पर खड़ी है ज़िदगी। थकी है ..आगे जाने को अड़ी है ज़िंदगी।। है राह में न रौशनी,
Read Moreज़िन्दगी गुजर ही जाती है पर अभी रश्मि को समझ नहीं आ रहा था कि जीवन का ये अंधेरा कैसे
Read Moreवो लेखिका नहीं थी… वो कवियत्री भी नहीं थी न जाने कब अपने भावो को सरल सहज आकार देने लगी
Read Moreशाम गहरा रही थी। दोनों का एक दुसरे से विदा लेने का वक्त आ चुका था। राजीव अमेरिका जाने
Read Moreकैसे कहूं मुंह से कहा ना जाये कि तुम बिन सावन आग लगाये । भीगा मौसम, भिगाये मन मेरा ठंडी
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