विजय दिवस
का = कायर शत्रु ने पृष्ठ घात करर र= रचा व्यूह कश्मीर पर गि = गिरिश्रृङ्गो की ओट से गीदड़
Read Moreमुझे भुलाने के तेरे दावे यकीन कर लो , जो कर सको तो न देखें मुझको , पलट के आँखें
Read Moreगिरकर जो हिमश्रृङ्गों से शौर्य शिखर पर उदित हुए तजकर स्थुल काया को कोटि हृदयों में जीवित हुए जो गालवान
Read Moreजी चाहा कि पुकार लूं, पर क्या करते बड़ी दूर थे तुम ॥ आँखों में आकाश लिए इच्छाओं का पाश लिए
Read More# कुछ मैं लिखुं , कुछ तुम लिखो मैं प्रेम लिखुं , तुम मिलन लिखो इस ढलती रात के तारों
Read More# आशाओं के सेतू साथी ! चल मिलकर बाँधेंगे आशाओं के सेतू … तू व्यर्थ अकिंचन रोता है क्युँ साहस
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