घने वाग – वगीचों के बीच एक नव निर्मल लड़की देखी बीच , उसके दाँत तारों से चमक रहे थे मुख मण्डल के बीच वह गिरी गिद्ध होकर सहसा मैंने उसे उठाया , नया जन्म सा...
आया बसन्त आया बसन्त। फूल खिल गये अनन्त।। चहुँ और गन्ध बरषने लगी मन की क्यारी महकने लगी, पुष्प गन्ध हो अनन्त। आया बसन्त आया – – – – – मनुष्य मन हो हर्षित मनुष्य तन...
पहले तन मन की आजादी थी सुबह निकल घरों से घूमा करते थे मस्त वादियों में दाना चुगकर आ जाया करते थे घरोंको खुला छोड़कर, हम सब पक्षीजन जो मण्डल में चहका करते थे! प्यार से...
आया मन भावन दीपों का पर्व निराला प्रकाश पुंज आलोकित हो, खुशियों का अमृत प्याला तेरे प्यार में प्रतिपद रचने को ये मन करता सुख-समृद्धि नव आशाओं से घर भर दे लक्ष्मी माता ! .. आया...
हो तुम जहाँ रहती हो साँसों में यादो के भोरे मडराने लगते है रातों में बनके चाँदनी तुम दिल में उतर जाओ हवा का झोंका बन तुम आजाओ दिल से लगी है दिल की लगन...
जो संवारा था घर आँगन डूबा है विरह में खोजता-फिरता हूं दलहीज पर उन स्पर्शों को जब याद दिलाती वो यादें अच्छे थे मौसम कहावतों के उमड पडा सैलाब दु:ख दर्द बनकर. न जाने कहाँ था...
ये नदियां ये बहारें और ये हुस्न परियां चारों ओर फूल कलियां और नजारे देख इनको याद आयी तुम्हारी सांझ सकारे हो तुम कहां ओ जाने जां… ये बुलबुल और तारे जमीं पे फैले अनगिनत सितारे...
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