इन्सानियत कहां है तू….
इंसानियत कहां है तू ढूंढता हूं तुझे जब मार दिया जाता है बेटियों को कोख में। तलाशता हूं तुझे जब
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Read Moreउदास से दिन, मायूस सी रात बदलें। आओ सब मिलकर ये हालात बदलें॥ घोल रही हैं नफरत का जहर हवाओं
Read Moreआंख बंद कर दोह रहे हो, जल जंगल हो या सागर। आने वाली नस्लों की भी सोचो, इतनी अति ना
Read Moreतुमको हर घडी, यूं ढूढता हूं मैं.. जैसे जिन्दगी हो तुम मेरी तुमको हर घडी, यूं ढूंढता हूं मैं.. जैसे
Read Moreयूं खिला है तुम्हारा, बदन ऐं हंसीं ताज जूं, चाँदनी मे नहाया हुआ। वादियां हो गयी हैं, जवां और भी
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