बोलो मंगल कैसे गाऊं…
रोती है दिनरात जहां मानवता, कैसे खुशी मनाऊं। हर आंगन गम के आंसू है, बोलो मंगल कैसे गाऊं॥ सिसकी की
Read Moreरोती है दिनरात जहां मानवता, कैसे खुशी मनाऊं। हर आंगन गम के आंसू है, बोलो मंगल कैसे गाऊं॥ सिसकी की
Read Moreये अपलक देखती आंखे शून्य मे निहारती नजर चेहरे पर मायूसी सिले से लब बहुत कुछ कहतें है सब के
Read Moreजो दिल पर बीत गई, उस बात की बात ना कर। मेरे सपनों की खातिर, काली अपनी रात ना कर॥
Read Moreमैं जीवन की धारा हूं गंगा सी शीतल निर्मल हूं। मुझको अबला समझने वालों मैं जीवन का संबल हूं॥ मैं
Read Moreबात बात पर मुस्काने लगे हो आखिर बात क्या है। खुद को कुछ और दिखाने लगे हो आखिर बात क्या
Read Moreजब मन खुद ही मुस्काऐ बस खुद ही खुद को पाऐ जब खुशी हंसें मुस्काऐ तो सैल्फी हो जाऐ। भीड
Read Moreसमुन्दर की लहरों सी, शोखी तुम्हारी नदी जैसी अल्हड, मचलती जवानी। रति छुप रही है, दरीचों के पीछे हुई स्वर्ग
Read Moreचेहरे पे बारिश की बूंदें यूं ढलके, जैसे की शबनम की बूंदे गुलों पर। होठों पे यूं कर रही है
Read Moreथोडे से हैं आंसू, थोडी सी हंसी है हां यही जिन्दगी है। तुम जो मुस्कुरादो, थोडा खिलखिलादो बस यही हर
Read Moreनिराकार बेडोल, यूं ही मिट्टी का ढेला। फिरता यूं ही मूढ, जगत में रेला रेला॥ गर देकर के ज्ञान, ना
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