कुछ तो नेक काम कर रहे नेता-
दर बदर फिर वोट की भीख नहीं मांग रहे नेता बल्कि हम सबके कर्तव्यों को जगा रहे नेता | आलसी
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Read Moreविवाह बंधन तोड़ दूँ क्या अकेला तुझे छोड़ दूँ क्या? हर महीने रख पगार हाथ मायके ओर दौड़ दूँ क्या?
Read Moreअस्पताल के कॉरिडोर में स्ट्रेचर पर विवेक कराह रहा था | डॉक्टर से उसके जल्द इलाज की मिन्नतें करता हुआ
Read More“चप्पल घिस गयी बेटा, एक लेते आना | मैं थक गया हूँ, अब सोऊंगा |” “पापा! दो साल से प्रमोशन रुका पड़ा है | दे दीजिये न बाबू
Read Moreआज मचा है हो हल्ला (शोरगुल ) अजीब सी शांति होगी कल होते है रोज बलात्कार जागती नहीं मगर सरकार
Read Moreखूब साज सृंगार कर सज-धज रही थी ! महकते हुए सुंदर रंगबिरंगे फूल खूबसूरती में चार चाँद लगा रहें थे
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