कविता

ये महामारी है !!!

कुछ घोषणाओं, कुछ वादों को, सरकारी नल से पी लिया था जी भर … आज सुबह ही ओक से किया था जब दातून .. समझाया था मुनिया को, किसी से भी, कहीं भी कुछ मत ले लेना ये महामारी है ! छूने से हो जाती है, राजा और रंक में कोई भेद नहीं करती !! […]

कविता

घर पर रहो, सुरक्षित रहो !!

बात सिर्फ़, मुलाक़ात की होती, तुम कहते … तो मेरा आना शायद हो भी जाता पर, सवाल तुम्हारी और सबकी ज़िंदगी का भी है … घर पर रहो, सुरक्षित रहो, मुझे कुछ लोगों को अभी जीवन दान देना है !!! — सीमा ‘सदा’

हाइकु/सेदोका

जीवन मंत्र !!!

कुछ करो ना जीने के लिये जंग तुम करो ना ! … पहल तेरी सबको लाये साथ तुम चलो ना ! … स्वस्थ तन से स्वस्थ मन से रहो हट करो ना ! … जीवन मंत्र सतर्क हो रहो भी जप करो ना ! … देश हित में जन जन ये मानो साथ चलो ना […]

कविता

यूँ हीं साथ रहें !!!

गर्व के पल देश की अखण्डता, एकता ने जनता कर्फ्यू को, किया है स्वीकार हृदय तल से! करतल ध्वनि के बीच, हुआ जो शंखनाद बच्चों का जोश देख पलकें भी नम हुईं ज़रा सब साथ हैं तो कोई मुश्किल कहाँ ये विश्वास है अपने अपनों के लिये, हमेशा यूँ हीं साथ रहें जय हिंद, जय […]

कविता

बस तुम्हारी हँसी !!!

कुछ कीमती था तो मेरे लिए बस तुम्‍हारी हँसी, ना आँसुओं की कीमत मत पूछना ये तो अनमोल हैं नहीं चाहता मैं तुम इन्‍हें किसी भी कीमत पर यूँ बह जाने दो ! … कुछ शब्‍द मुहब्‍बत की किताब में बहुत ही कीमती होते हैं जिनके होने से कभी लगता ही नहीं कि जिन्‍दगी अभावों […]

कविता

दुआ हो जाती है …

वो मन मंदिर होता है जहाँ आस्था का दीपक सदैव जलता रहता है अंधकार विस्मृत होता रहता है इस उजास पर ऐसा ही एक रूप है नारी का जिसका हर रूप अपनी अहमियत रखता है …… वो स्नेह की छाया में दुआ हो जाती है …. मुश्किलों की होती है धूप जहाँ वहाँ वो उम्मीदों […]

कविता

कविता

वो मन मंदिर होता है जहाँ आस्था का दीपक सदैव जलता रहता है अंधकार विस्मृत होता रहता है इस उजास पर ऐसा ही एक रूप है नारी का जिसका हर रूप अपनी अहमियत रखता है …… वो स्नेह की छाया में दुआ हो जाती है …. मुश्किलों की होती है धूप जहाँ वहाँ वो उम्मीदों […]

हाइकु/सेदोका

कर दो हरा भरा !!

ऋतु बसंत करें अभिनन्दन माँ शारदा का ! .. माँ वीणापाणि देती आशीष सदा ज्ञानार्जन का ! … झूमते बौर कूके कोयल डाली आया बसंत ! … हे ऋतुराज कर दो हरा भरा हर उद्यान ! .. पूजन होता माता सरस्वती का आया बसंत ! … © सीमा ‘सदा’

कविता

जाते हुए पल को !!!

ये सच है आज वर्ष का अंतिम दिन है नहीं टूट रहा शब्‍दों का मौन किसी तरह से, नहीं ठहराव मिला अश्‍कों को बहने से क्‍या फ़र्क पड़ता है, सांत्‍वना के दो शब्‍द कहने से दर्द आंचल में सुबक रहा माँ के सन्‍नाटा भी चीत्‍कार करता है हिचकियों का स्‍वर जब गले में आकर रूँधता […]