योग और व्यायाम
(1) करना नित व्यायाम,ज़िन्दगी मंगल गाती। कहता चोखी बात,मान यदि मन को भाती। जीवन में उत्थान,यही तो सब ही चाहें,
Read More(1) करना नित व्यायाम,ज़िन्दगी मंगल गाती। कहता चोखी बात,मान यदि मन को भाती। जीवन में उत्थान,यही तो सब ही चाहें,
Read Moreमंडला– विगत चार दशकों से अधिक समय से निस्वार्थ भाव से समाज हित में सांस्कृतिक व मानवीय मूल्यों के परिप्रेक्ष्य
Read More(1) अंतर में शुचिता पले,तो हो प्रभु का भान। वरना मानव मूर्ख है,कर ले निज अवसान।। कर ले निज अवसान,विधाता
Read Moreगुरु कबीर को है नमन्,जिन ने बाँटा ज्ञान। ख़ूब यहाँ पर रच दिया,सामाजिक उत्थान।। सद्गुरु प्रखर कबीर थे,फैलाकर आलोक। परे
Read Moreआग उगलती लेखनी,मेरी सुबहो शाम। जो बदले युग को सदा,लाये नव आयाम।। लेखन में जब सत्य हो,परिवर्तन का भाव। वही
Read Moreजियो और जीने दो में ही,जीवन का सम्मान है। सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।। वक़्त कह रहा
Read Moreसंयम का है ही नहीं,किंचित यहां विकल्प। संयम को नित मानना,आगत का संकल्प।। संयम को तो मानकर,मानव बने महान ।
Read Moreगंगा मइया तुम हो पावन,तुम तो हो सबकी मनभावन। तुम हर लेतीं सबके दुख को,देतीं हो फिर सबको सुख को।।
Read Moreजब प्रेम दिखा तब रूप सजा,जब रूप सजा तब प्रेम महान। मन है चहका,दिल है बहका,जब दे नित ही कुछ
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