पिता के संघर्ष के दोहे
पिता कह रहा है सुनो,पीर,दर्द की बात। जीवन उसका फर्ज़ है,नहिं कोई सौगात।। संतति के प्रति कर्म कर,रचता नव परिवेश।
Read Moreपिता कह रहा है सुनो,पीर,दर्द की बात। जीवन उसका फर्ज़ है,नहिं कोई सौगात।। संतति के प्रति कर्म कर,रचता नव परिवेश।
Read Moreअमर मुहब्बत की कथा, है भावों का नूर। शाहजहाँ ने रच दिया, ताजमहल भरपूर।। बेग़म पर सब वारकर, दिया सुखद
Read More(१) महादेव शिव की दया,है हम पर उपकार। जीवन यह सुख से भरा,स्वप्न किए साकार। उमासंग कल्याणमय,हे प्रभु दयानिधान, भोलेबाबा
Read More(1) गाँठ मन की खुल गई,मधुमास सुखकर लग रहा। गुल खिले हैं ख़ूब ही,अवसाद डर से भग रहा। हैं सतातीं
Read Moreअसफलता है एक चुनौती,दो-दो वार करो। फैला चारों ओर अँधेरा,पर तुम लक्ष्य वरो।। साहस लेकर,संग आत्मबल बढ़ना ही होगा जो
Read Moreकोकिली कंठी गायिका,छोड़ गई,हम दीन। ऐसा स्वर अब है कहाँ,कौन बजाए बीन। बिलख रहा संगीत है,श्रोता सब हैं मूक, मातम
Read Moreमंडला-“लता जी भारत की आवाज़ थीं।पद्मश्री से लेकर भारत रत्न तक के समस्त सम्मान,अवार्ड प्राप्त करने वाली सरस्वती स्वरूपा कोकिल
Read More(1) प्रेम की बगिया विहँसती,तब खिले परिवार। प्यार से परिवार में नित,नेहमय रसधार।। मन रहे निर्मल अगर तो,हाथ में वरदान।
Read Moreमातु शारदे,नमन् कर रहा,तेरा नित अभिनंदन है। ज्ञान की देवी,हंसवाहिनी,तू माथे का चंदन है ।। अक्षर जन्मा है तुझसे ही,
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