मैं यानि आदिमानव (व्यंग्य)
ऐसा लग रहा है कि पिछड़ने का यही सिलसिला रहा तो भारतवासी स्वयं को आदिमानव भी घोषित कर देंगे। बड़ा
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Read Moreसाधुओं !जश्न मनाओ। देश अपनी सांस्कृतिक विरासत का पालन कर रहा है। पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक
Read Moreआयु के पाँच वर्ष तक चंदा मेरा मामा था। थोड़ी अक्ल आयी तो उसे शिव जी के माथे पर देखकर
Read Moreआजकल ऐसा लग रहा है, आठ – दस महीने बाद देश में दूध की नदियाँ बहने वाली है। मोहल्लों की
Read Moreजब आँसू ही सूख गये अपनी पलकों में,तब पीड़ा का मोल भला क्या हो पायेगा?जब कलियों को लूट लिया बागी
Read Moreऐसा लग रहा है भारत में राम राज्य आ गया। देखिए ना, लोकतंत्र की पावन गंगा कलकल करती बह रही
Read Moreदुनिया में लोग मृत्यु को रहस्य कहते है। एक व्यंग्यकार की दृष्टि से मुझे तो यह संसार का सबसे बड़ा
Read Moreदेश चाटुकारिता के स्वर्ण युग से गुजर रहा है। अकबर-बीरबल के एक किस्से के एक किस्से के अनुसार अकबर द्वारा
Read Moreकहाँ कहा कब हमने यह कि, हम पर विपदा भारी है कहाँ कहा कब हमने यह कि, जीवन की दुश्वारी
Read Moreहमारे देश में बच्चे पैदा करना संवैधानिक के साथ धार्भिक और सांप्रदायिक अधिकार है। भला है कि विधाता ने मनुष्य
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