गीतिका/ग़ज़ल

मंज़िल को पाना है

हो डगर  कंटक भरी ,मुझे मंज़िल  को पाना है। झंझावात बेशक खड़े,अविरल कदम बढ़ाना है। हौसले बुलंद अगर ,हो जाती डगर आसान‌ है, दृढ़ निश्चय से मुझे ,उम्मीदों का दीप जलाना है। कैद मुट्ठी में करूॅंगा व्योम की वृहत तारावली, जोश कितना है बाजू में यह आज आज़माना है। सरिता सा बहना सीखना मुख मोड़ना […]

गीतिका/ग़ज़ल

चार दिन का मुसाफिर

चार दिन का मुसाफिर लम्बा सफर तेरा। चला जाएगा बंदे  लगा के  जग से फेरा। काम, क्रोध,लोभ बस समझे सब मेरा है। यह सपना है पगले  कुछ भी नहीं तेरा है। छोड़ दे बंदे मेरा मेरी,दो गज़ ज़मी है तेरी, जितनी सांसें हैं  लिखी उतना ही  बसेरा। चार दिन का  मुसाफिर लम्बा सफर तेरा। चला […]

गीतिका/ग़ज़ल

दो पल की ज़िंदगी अपनी

भुला कर हर  बात फिर से‌, बसाएं  ज़िंदगी अपनी। भुला कर शिकवे सारे‌ ,फिर सजाएं ज़िंदगी अपनी। दो  पल की है ज़िंदगी प्यारे बड़ी अनमोल‌  मिली है, सत्य कर्म और परमार्थ पर  चलाएं ज़िंदगी अपनी। उलझ जाते कभी रिश्ते मामूली सी बात से अक्सर, मिटा दो भेद सब अपने न उलझाएं ज़िंदगी अपनी। मन चंचल […]

गीतिका/ग़ज़ल

विधि का विधान

रखता सब  कुछ हाथ है मालिक भगवान। विधि के  विधान का  आओ करें  सम्मान। जो आया सो जाएगा, यह निश्चित तू जान। रहा न कोई स्थिर यहाँ,  यही विधी विधान। रचना रची  भगवान ने कितना सुंदर संसार, सुक्ष्म से बली धरा पर  जीव  कई बलवान। रवि उगे लिए लालिमा, होती अंधेरी है रात, एक आती […]

मुक्तक/दोहा

दोहे – फिरा न मन का फेर

भजन करे सिमरन करे, फिरा न मन का फेर। ध्यान  सदा  धन में  रहे, लिया   मोह  ने  घेर। साधु  संत का रूप धर, मन   भीतर    शैतान। छल  कपटी ढोंगी बना, ढूंढ     रहा   भगवान। काम क्रोध  मद  लोभ में, सदा सुरा  का  पान। नारी   नयनों  में   बसे, करे    ईश   का  ध्यान। माया   ठगनी  […]

कविता

चाहत है मेरी

चाहत मेरा खून का कतरा,देश की सरहद पर बहाऊँ। देश हित कुर्बान हो कर के, लौट  तिरंगे  में  इठलाऊँ। चाहत है इन बाहों का बल,अबला का संबल बन जाऊँ। है उठता मन प्रेम उमड़ कर, स्नेह अनाथ का  बन पाऊँ। चाहत  धन मन तन सब,दीन दुखी सेवा में लगाऊँ। अपाहिज लाचार जो फिरते,जा मैं उनका […]

गीत/नवगीत

प्रीत लगाना सीखो

प्यार की बातें  सब करते, प्रीत  लगाना भी तो सीखो। बिना प्रेम बुझती मन बाती, प्रेम ज्योत जगाना सीखो। दो नयनों के दीप जले हैं, फिर है मन अंधियारा कैसा। प्रेम  के  दो बोल तो बोलो, इस से  बड़ा नजारा कैसा। सुख दुख बांटो प्रेमी बनके, साथ सदा निभाना सीखो। बिना प्रेम बुझती मन बाती, […]

मुक्तक/दोहा

दान

अपने कर्म से अर्जित किया, थोड़ा  कीजिए दान। प्रेम घट भीतर भर लीजिए ,हो खुशियों का भान। जितनी जरूरत है आप को, उतना ही  रखो पास, जरूरतमंद की मदद करो, भलाई  इस  को  मान। चिड़ी चोंच भर जल ले गई, सरिता न घटियो नीर। बहते नदी का पानी कभी,  करता नहीं अभिमान। है रोटी  मिले  […]

गीत/नवगीत

निराश मत होना जीवन में

निराश मत होना जीवन में, हो दिल क्यों छोटा जाता है। बहता चल सरिता बन के, राह  सुगम  बनता  जाता है। निराश मत होना जीवन में बनते चतुर चालाक  यहाँ , तेरी बात को टोका जाता है। सत्य पथ पर बन कर कांटे, तेरी राह को रोका जाता है। निराश मत होना जीवन में। मन […]

कविता

तड़प मेरे गांव की

गांव की याद रह रह के, हाय जिया रूलाती है। तड़प सीनें में उठती है, गांव की याद आती है। शहर की  हवा जरीली सभी की सांस घुटती है, कंकरीट के महलों में, न सौंधी खुशबू आती है। लहलहाते खेत गांव के, कुंए से पानी भर लाना, किये घुंघट नई नारी, मुडेर की रौनक बढ़ाती […]