कहानी – मान-अपमान
” पानी पीना छानकर, अतिथि बनना जानकर !” बचपन में कही मां की यह बात उम्र पचपन में मुटरा बाबू पर
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Read More“पता नहीं इन मर्दों की अक्ल कब ठिकाने आएगी,कब तक वे अपनी पत्नियों को गुलाम समझते रहेंगे । युग बदलता
Read Moreअखबार में दिए वैवाहिक विज्ञापन के बाद जिन सात लड़कियों की तस्वीरें आई थी,वे सब के सब मेघराज के आगे
Read Moreएक पल को लगा पूरी पंचायत को सांप सूंघ गया हो…! ” अगर हमर साथ भेद भाव होतअ आर नियाय
Read Moreफूफा फूलचंद की फुफकार और ललकार से ही गजोधर बाबू की इज्जत – आबरू बची ! राहत मिली थी !
Read Moreनूना मेरे पास काम की तलाश में आया था। अपने नये फार्म हाउस के लिए मुझे एक नौजवान नौकर की
Read More” मेरे घर में यह कदम नहीं रख सकती है, जहां से इसे उठा लाए हो वहीं छोड़ आओ….!” बेटे
Read Moreआज फिर बुधिया चार बजे भोर भादो को ढूंढने निकल पड़ी थी । मैं जान बूझ कर उसके रास्ते से
Read More“खट मरे मुर्गा, बिलाय खाये अण्डा ” यह कहावत छोटा नागपुर पठार में चिरकाल से बसने वाले और झारखंड की
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