कवि हूँ कविता लिखता हूँ
हाँ ! मैं कवि हूँ कविता लिखता हूँ, सत्य से दो चार हो शब्दों से लड़ता झगड़ता हूँ, मन में
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Read Moreहमें देखकर सिर्फ मुस्कुराइए नहीं हम नन्हें नादान है तो क्या हुआ पहले हमें गौर से जी भरकर देखिए
Read Moreआज सुबह से सातवीं बार बिना नंबर के यमराज नाम से काल आ चुकी है। अब तक तो मैं नजर
Read Moreआपने तो पढ़ा नहीं पढ़ा तो शायद पल्ले नहीं पड़ा, वरना यूं मुस्कुरा नहीं पाते, आँख से झलक जो आते
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