आज जब हम हिंदी साहित्य में पाठकों की कमी का दुखड़ा रोया करते हैं तो ऐसे में किसी उपन्यास का दूसरा संस्करण और वह भी मात्र 2 साल में आना इस दुखड़े को खारिज करता है। लेकिन शर्त है कि वह कृति रोचक और मनोरंजक शैली में लिखी गई हो। इस संदर्भ में ‘जैसे थे’ […]
Author: सुमित प्रताप सिंह
ऑस्ट्रेलिया में लेखन कौशल दिखातीं रीता कौशल
ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में रह रहीं रीता कौशल मूलरूप से आगरा, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। इस समय वह ऑस्ट्रेलियन गवर्नमेंट की लोकल काउन्सिल में फाइनेंस ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं तथा इसके साथ ही साथ हिंदी लेखन में कौशलता का नियमित रूप से प्रदर्शन कर रहीं हैं। 2002 से 2005 ईसवी […]
साहित्य रथ पर सवार अभिमन्यु पाण्डेय आदित्य
दिल्ली के रहने वाले अभिमन्यु पाण्डेय ‘आदित्य’ मूलतः उत्तरप्रदेश, जिसे इन दिनों उत्तम प्रदेश कहा जा रहा है, के प्रतापगढ़ जनपद के रहने वाले हैं। हालाँकि इन्होंने जन्तु विज्ञान से स्नातक की है, किन्तु इनके मन-मस्तिष्क में लेखन के जंतु वास करते हैं जिससे वशीभूत होकर इन्होंने पत्रकारिता में परास्नातक किया और पूर्ण रूप से […]
सम्राट पृथ्वीराज चौहान नहीं थे दोषी
इतिहास में चर्चित क्षत्रिय वंशों में एक चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय, जिनकी उपाधि रायपिथौरा थी तथा जिनका शासनकाल सन 1178 ईसवी से 1192 ईसवी था, हिंदुओं के सर्वाधिक चर्चित शासकों में से एक हैं। सम्राट पृथ्वीराज के पिता राजा सोमेश्वर चौहान थे। अपने पिता की मृत्यु के समय वह लगभग […]
व्यंग्य : नफे का पड़ोसी धर्म
नफे टीवी पर पर कोरोना महामारी और उससे पीड़ित लोगों की खबरों को सुनते-सुनते जब ज्यादा दुःखी हो गया तो उसने टीवी बंद करके रिमोट को एक तरफ फैंका और अपना सर पकड़ कर विचारमग्न हो सोफे पर बैठ गया। तभी उसकी पत्नी भागते हुए आयी और चुगलाये अंदाज में बोली। पत्नी – […]
व्यंग्य : अन्नदाता का दुःख
इन दिनों अन्नदाता हैरान और परेशान हैं। उनकी हैरानी और परेशानी जायज है। वो उन कामों के लिए देश-विदेश में बदनाम हो रहे हैं, जिनको उन्होंने किया ही नहीं। उन्हें उत्पात और विध्वंश का दोषी ठहराया जा रहा है। अन्नदाता कभी उत्पात और विध्वंश करने की सोच ही नहीं सकते। वो तो इतना कर सकते […]
व्यंग्य : म्हारे गुटखेबाज किसी पिकासो से कम न हैं
अपने देश में कला की तो कोई कद्र ही नहीं है। आए दिन कोई न कोई ऐसा सरकारी फरमान जारी होता रहता है, जो कला का मानमर्दन करने को तत्पर रहता है। अब गुटखेबाज कलासेवी जीवों को ही ले लीजिए। कलासेवा की खातिर कड़ी और ज़हरीली चेतावनी का सन्देश पढ़ने के बावजूद भी अपने मुँह […]
पुस्तक समीक्षा : सहिष्णुता की खोज
इन दिनों अन्य विधाओं के अलावा व्यंग्य पर ज्यादा काम हो रहा है। यह खबर व्यंग्य यात्रियों के लिए अच्छी हो सकती है, क्योंकि व्यंग्य ही साहित्य में ऐसा धारदार हथियार है जो विसंगतियों, विद्रपताओं को एक झटके में ठीक करने का सामर्थ रखता है । साहित्य में सहिष्णुता की खोज तो पुरातन काल से […]
भांड (लघुकथा)
जिले ने गंभीर हो नफे से पूछा, “भाई ये भांड किसे कहते हैं?” “कोई कलाकार जब स्वार्थवश अपनी कला को बेच देता है तो वह भांड बन जाता है।” नफे ने समझाया। जिले सिर खुजाते हुए बोला, “भाई मैं कुछ समझा नहीं।” नफे बोला, “जब कोई व्यक्ति कला के प्रति तन-मन से समर्पित हो उसकी […]
व्यंग्य संग्रह – सहिष्णुता की खोज
मित्रो इस विश्व पुस्तक मेले में मेरी पाँचवी पुस्तक व तीसरे व्यंग्य संग्रह ‘सहिष्णुता की खोज’ का विमोचन शोभना सम्मान समारोह व पहले ऐतिहासिक युवा व्यंग्य सम्मेलन में दो दिनों तक लगातार दो बार किया गया। मेरे इस व्यंग्य संग्रह में कुल 42 संग्रह संकलित हैं। इसे चिसलिंग पब्लिकेशन हाउस ने प्रकाशित किया है। इस […]