Author: सुमित प्रताप सिंह

हास्य व्यंग्य

अब तेरा क्या होगा कालिया (व्यंग्य)

काले धन उर्फ़ कल्लू, कल्लन, कालिया इन दिनों अधिकांश देशवासी तुम्हें दे रहे हैं जी भरकर गालियाँ। सरकार ने तुम्हें

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कविता

अभी असल तो है बाकी (कविता)

जब 56 इंची सीनों ने गोलियाँ रायफलों से दागीं दहशतगर्दों के अब्बू भागे और अम्मी खौफ से काँपीं ये तो

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हास्य व्यंग्य

प्रतिक्रिया (व्यंग्य)

हमेशा की तरह फिर से पड़ोस से आतंकी हमला हुआ और इस आतंकी हमले में हमारे कई वीर सैनिक शहीद

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कविता

हल्के लोग (कविता)

हल्के लोग करते हैं सदैव हल्की ही बातें और करते हैं सबसे ये उम्मीद क़ि उनकी हल्की बातों को भारी

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