गगन पे विचरण करने वाले बदरा वर्षा दे मेरे प्याले में तूँ मदिरा जब जब सावन में तुम आयेगा जाम से जाम मिलकर टकरायेगा गम को भुलाने में मेरी मदद तुँ करना मयखाने में जाम शराब का है भरना साकी मेरी रूठ कर मायके गई। है सौगात तन्हाई की भेंट कर […]
Author: उदय किशोर साह
बीमारी
भ्रष्टाचारी की लगी बीमारी इसकी इलाज कोई तो करो जन जन में है ये दुश्वारी इस पीड़ा को कोई तो हरो ई डी वाले सी बी आई वाले हिन्दुस्तान की दर्द समझो जनता की जो हड़प ली धन कानून के तहत ईलाज करो बहुत खेल ली इसने वो खेल अब तो इनकी हिसाब […]
रामराज्य की परिकल्पना
ऋषि मुनियों की पावन इस धरती पर श्रीराम की रामराज्य कब आयेगा जिस दिन नदी के एक घाट पर आकर बाघ और बकरी एक साथ प्यास बुझायेगा ऋषि मुनियों की पावन इस धरती पर कब जन जन गुंडे मवाली से मुक्ति पायेगा निर्भिक भाव से इस बस्ती में नागरिक शांति पूर्वक […]
बेपनाह इश्क
बेपनाह इश्क का है ये मंजर प्रेमी के लिये समाज बना खंजर फिर भी प्रेम प्रीत हम बरसायेगों एक दुजै के साँसों में खो जायेगें हर कोई है लैला हर कोई मज़नूं चमक रहा है अंधेरे में जैसे जूगनूं कोई चुपके चुपके घर है बसाता कोई जगत में है प्रेम रास रचाता प्रेम दरिया में […]
बेबसी
बेबसी की बंधन ने हमें है मारा वक्त ने जब जब हमको ललकारा हमने बढ़कर दिया सबको जवाब कमजोर ना समझना हमें जनाब बेबस हूँ पर हम डरपोक नहीं घायल हूँ तन से पर मौन नहीं जब जब उठेगी बगावत की हुँकार विफलता झुक जायेगी हो शर्मसार कैसे दिखलाऊँ मन की उठी […]
इक दिन मिट जाना है
सोहरत दौलत और जवानी इक दिन इसे मिट जाना है गुरूर घमंड रे अभिमानी इक दिन ठंड पड़ जाना है ईष्या द्वेष और तेरी बेईमानी इक दिन इसे लुट जाना है प्रेम प्यार और तेरी कुर्बानी इक दिन फल दे जाना है क्रोध तमस और तेरी […]
वीरान शहर
वीरान क्यूँ हो गई हँसता ये शहर परेशान क्यूँ दीख रही जीवन डगर क्या मानव की गलती का है असर क्यूं बिगड़ रहा है बस्ती की सफर भटक गये हैं यहाँ पे पढ़े लिखे जवान बन रहे हैं नशे में वो बेरहम हैवान क्यूँ बन रहे हैं ये मूरख सब शैतान कुछ तो […]
झूठा वादा
चाँदनी क्यूँ शरमाई थी रात नींद नहीं आई थी अँधेरों का यहाँ साया था शायद दर पे कोई आया था उनकी वदन की खुशबू से फिजां में महका चन्दन था दरवाजे पे लगी थी कुन्डी पर उनका ही दिखा वन्दन था दरवाजे पे सजी थी अल्पना डूबा था ले उनकी ही कल्पना अक्स उनका […]
कमबख्त मोहब्बत
तुमको भुलाने की आखिरी कोशिश नाकाम हो गई कमबख्त मोहब्बत में मेरी अरमान बदनाम हो गई इश्क की गुरबत में चमन अब गुलफ़ाम हो गई पतझड़ के बेरहम हाथों चमन वीरान हो गई ना चाहते हुए दोस्तों ने हाथ जाम थमा दिया मयकशी में साकी ने अपना नाम मेरे नाम कर दिया आदमी था कभी […]
नजरिया
जिस नजरिये से जग को देखा है अक्स वैसा ही तुम्हें दीख जायेगा पापी को गर साथ तुमने दिया है पाप तुम्हारे सर पर भी आयेगा बट वृक्ष की तरू जमी पे उगाया है छाया की ऑचल में ढँक जायेगा अच्छे कर्मों की गुलशन का सौरभ से जीवन भी महक जायेगा लाख बुराई […]