कविता

पिता

बरगद की विशाल शाखाओं जैसी,        अपनी बाँहे फैलाए । ख़ड़े रहकर धूप और छाँव में, हर मौसम की मार झेल जाये ।। कोई और नहीं , एक पिता ही हो सकता है। कठोर भाव, पर अव्यक्त प्रेम का आसन । सख्ती से चलनें वाला परिवार का अनुशासन ।। संबल, शक्ति, संस्कारों की […]

भजन/भावगीत

पद्मासना

आराधना करूँ, देवी पद्मासना । मैं उपासना करूँ, देवी पद्मासना । मेरे अधरों में , सुर बनके बैठो हे माँ, स्वर साधना करूँ, देवी पद्मासना । आराधना करूँ …… स्वर की देवी कहूँ, सुरपूजिता हो तुम। धवल वसन धारिणी, परमपुनिता हो तुम। तान वीणा की जैसे, सुरसरिता बहे , तेरी वंदना करूँ, देवी हंसासना । […]