बरगद की विशाल शाखाओं जैसी, अपनी बाँहे फैलाए । ख़ड़े रहकर धूप और छाँव में, हर मौसम की मार झेल जाये ।। कोई और नहीं , एक पिता ही हो सकता है। कठोर भाव, पर अव्यक्त प्रेम का आसन । सख्ती से चलनें वाला परिवार का अनुशासन ।। संबल, शक्ति, संस्कारों की […]
Author: उषाकिरण निर्मलकर
पिता - श्री गैंदराम निर्मलकर
माता - श्रीमती गनेशिया निर्मलकर
पता :-
ग्राम-पोस्ट - करेली छोटी
तहसील- मगरलोड
जिला- धमतरी (छत्तीसगढ़)
493662
उपलब्धियाँ एवं सम्मान :-
1."माता-पिता" साझा संकलन हेतु सह- लेखक सम्मान ।
2. के. बी. राइटर्स अंतराष्ट्रीय साहित्यिक मंच द्वारा विभिन्न साझा संकलन हेतु सम्मान ।
3. कलमकार साहित्य शिरोमणि सम्मान 2022 ।
4. के बी राइटर्स कलमकार सम्मान 2022 ।
रचनाओं का प्रकाशन कहाँ-कहाँ हो चुका है? :-
दी ग्राम टुडे लखनऊ दैनिक समाचार पत्र, समृद्धि न्यूज़ लखनऊ, मालवा हेराल्ड, दूसरा मत, इंदौर समाचार, साहित्य एक नजर कोलकाता, सारंगढ़ टाइम्स, रेड हैंडेड, किलोल प्रत्रिका एवं विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित।
प्रकाशित पुस्तक (यदि हो तो) :-
1.माता-पिता (साझा संकलन)
2.श्रद्धा सरोवर (साझा संकलन)
3.कलम ही पहचान है ( साझा संकलन )
4.अर्पित (साझा संकलन)
5.मेरी कलम से (साझा संकलन )
6.एक मुस्कान (साझा संकलन प्रकाशाधिन )
लेखन की विधा :-
गीत, कविता, लघुकथा, बाल कविता
पेशा :-
व्याख्याता अंग्रेजी के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोथीडीह
विकासखंड- मगरलोड
जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़) में कार्यरत।
8963956080
पद्मासना
आराधना करूँ, देवी पद्मासना । मैं उपासना करूँ, देवी पद्मासना । मेरे अधरों में , सुर बनके बैठो हे माँ, स्वर साधना करूँ, देवी पद्मासना । आराधना करूँ …… स्वर की देवी कहूँ, सुरपूजिता हो तुम। धवल वसन धारिणी, परमपुनिता हो तुम। तान वीणा की जैसे, सुरसरिता बहे , तेरी वंदना करूँ, देवी हंसासना । […]