जिंदगी क्या है-दो दिन का मेला है, इस मेले में हर इंसान अकेला है। रौशनी क्या है-बस चिरागों का रेला है, इस चराग तले ही ज्यादा अंधेरा है। प्रेम क्या है- चाहतों का खेला है, इसमें हर पल बेबसी का बसेरा है। आप क्या है- मेरी जिंदगी का सबेरा है, आपके बिना […]
Author: विभा कुमारी
शिक्षा-हिन्दी में एम ए
रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला
वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P
जिंदगी की शाम
बंदिशों के पिंजरो में कैद है- मेरी जज्बातों की आजादी! पंख फड़फड़ाते है….. उड़ नहीं सकते ये परिंद….! रफ्ता रफ्ता कम होती जाती है उम्र की लंबाई…..! खुदा जाने क्या हो….? जब इस जिंदगी की शाम आई! — विभा कुमारी “नीरजा”
कर्मवीर
सफलता के हकदार वे जिनकी इरादों में है जुनून! जिनके हौसलों से हो जाते है पत्थर भी चूर! मुश्किलें भी जिन्हें रोक ना सकी तकलीफें भी ना जिसे टोक सकी! वही है ..असली कर्मवीर!!! — विभा कुमारी “नीरजा”