अस्सी-पचासी वर्ष का रामधनी जब-जब गाँव के युवकों को असमाजिक कार्य करते हुए देखता है तो उसे भीतर से बहुत दुःख होता है कि कभी यही गाँव नैतिकता के सिर मौर के रूप में जाना जाता...
चित्र प्रदर्शनी के दर्शक-दीर्घा में आगुन्तकों की नजर एक विशेष चित्र पर अटक जाती और वह वाहः कर उठते हैं… अद्वितीय चित्र, चित्रकार को खोजने पर सभी को विवश कर रहा था… चित्रकार श्यामा और उसका...
वक़्त करवट बदलता जरूर ही है … तालियों की गड़गड़ाहट और वन्स मोर-वन्स मोर का शोर साबित कर रहा था कि अन्य प्रतिभागियों-संगियों की तरह उसकी भी रचना और प्रस्तुतितीकरण से दर्शक दीर्घा में बैठे साहित्य...
“अरे! तुम इस समय?” अपने घर में आई कमला को देखकर चौंकने का अभिनय करने में सफल रहा हरेंद्र। होली की शाम थी वह घर में अकेला था। “क्यों? तुमने ही तो कहा था.. होली...
.अनेकानेक दलों के मैनिफेस्टो को वह अबतक आकंलन-निरीक्षण-परीक्षण करता रहा था… आजतक कोई सरकार उसे ऐसी नहीं दिखी जो जारी किए अपने मैनिफेस्टो को पूरा लागू करने में सक्षम रही हो। फिर चुनावी मौसम गरमाया हुआ...
“दी! दीदी! सामने देखिए वह वही हैं न , जिन्हें समाज की दुनिया में लाने के लिए हम इनके आशियाने तक गए थे… समाजिक मुद्दों में कभी आना होता था तो पहले अपने घर वालों से...
“माँ! माँ आज मैं बेहद खुश हूँ… आप पूछेंगी ही क्या कारण है… पहले ही बता दूँ कि हमारी सारी चिंताएं-परेशानियाँ खत्म होने वाली है… मैं जिस कम्पनी में काम करती हूँ उसी कम्पनी में साकेत...
“हैलो” “मम्मा आपसे एक बात करनी है…!” “हाँ! बोलो… तुम्हारी आज छुट्टी है क्या?” “हाँ माँ! यहाँ इस समय दस दिनों की छुट्टी होती है… आप चाची के पास ही होंगी… फोन का स्पीकर ऑन कीजिये...
“क्या सुधीर तुम खुद अपनी शादी कब करोगे?” छठवीं बहन की शादी का निमंत्रण कार्ड देने आए सुधीर से संजय ने सवाल किया…। आठ साल पहले संजय और सुधीर एक साथ नौकरी जॉइन किया था… लगभग...
तब हामिद क्या करता, कल्पना करना मुश्किल लगा तो सोच रही हूँ… गाँधीमैदान में ट्रेड फेयर लगा था। स्कूल के कुछ मित्रों ने वहाँ चलने की योजना बनायी। सभी बच्चे बड़े घरानों से थे लेकिन कौशल एक...
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