लघुकथा – कवरेज से बाहर
“अरे!तू तीन दिनों से घर नहीं आया।कहाँ था?तुझे बिल्कुल हमारी परवाह नहीं है।तेरे
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Read More“दीनानाथ जी, आप बहुत कम बोलते हैं, कोई समस्या?” बुजुर्ग-समूह में बैठे उनके मित्र ने पूछा.“कोई सठियाने का ताना न
Read Moreविश्व पर्यावरण दिवस पर हर गली-मुहल्ले में सम्मेलन करने का आदेश ऊपर से आया हुआ था. सभी छुटभैये नेताओं को
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Read Moreचुनाव का मौसम कहाँ तो उन्हें पहले भरपेट खाने को नहीं मिलता था और अगर मिलता भी, तो तब, जब
Read Moreधरती के भगवान “माँ, माँ, मैंने अभी-अभी सपने में देखा कि भगवान जी हम लोगों को अपनी गोद में उठाकर
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