ऊर्जा
कदम-कदम पर रोज़-रोज़ हम ऊर्जा करते नष्ट, थोड़ा भी कम हो जाए यह तो होने लगता कष्ट। बिजली गैस कोयला
Read Moreबूँद बूँदों को तरसता आज का इन्सान । प्यास भी अब बढ रही कैसे बचाये जान। नदियाँ सूखी बाँध सूखे
Read Moreपाने की चाह में खोने का डर सताता है बिना कुछ पाए ही दिल सहम जाता है फ़ितरत१ में जुड़ा
Read Moreहम हैं हिंदू ,मुसलमान,सिख,इसाई बोलो कौन है फिर हिंदुस्तानी, बांट ना इस देश को टुकड़ों में बन ना तू मानव
Read More“कुंडलिया” वीरा की तलवार अरु, माथे पगड़ी शान। वाहेगुरु दी लाड़िली, हरियाली पहचान।। हरियाली पहचान, कड़ा किरपाण विराजे। कैसी यह
Read Moreबहुत शोर है भीतर गहराई में मानो टकरा रहीं हो सभी ख़्वाहिशें आपस में मगर कुछ ख़्वाहिशें ये समझ गई हैं
Read Moreसोचती हूं कभी जब तुम होंगे जीवन के सबसे खुशहाल पलों में… मैं साथ क्यों ना थी? सोचती हूं
Read Moreप्रेम और त्याग धरा ! धैर्य धारण किए, खुद में समेटे अथाह प्रेम और त्याग, तकती रहती अपने आसमां.. क्षण
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