कविता
मदहोशी का आलम छा रहा है, दिल के दरिया में भूचाल आ रहा है! हमारी हस्ती कुछ भी नही, फिर
Read Moreये क्या हो रहा है आज मिला हमें कैसा यह ताज इंसानी पाश का खंडन कर जाती,धर्म,सम्प्रदाय में विखंडित कर
Read Moreचार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात है तेरी न यहाँ कोई बात है भरी जवानी में काहे इतरावे रूप
Read Moreठंडी हवाएँ थी और खामोश सी फ़िज़ा मै खो गयी उन की उस ख़ामोशियों में कोई था, वहीँ कहीं महसूस
Read Moreकल आने वाली वायु नितान्त शुद्ध होगी और जिंदगी दीर्घायु होगी यह कौन जानता है ? आज तो लेकिन चहुँ
Read Moreबेटी से बनकर बहू जब बांट देती है परिवार को तब खलती हैं बेटियां आजादी के नाम पर करती है
Read More।ओ साहब मैं गरीब हूँ बस यही पहचान मेरा है।। हां गरीब मुझको सब कहते, मेरा कोई ईमान कहां है,
Read Moreहे ईश्वर! मुझे नेता बनवा दो हे! ईश्वर ऐसा वर दो मैं भी नेता बन जाऊं। घोटाले पर घोटाला कर
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