कह दें कि झूठ है
ये स्वप्न तू कह दे कि ये झूठ है ठिठौलिया थी उनकी रुसवाई में मत दस्तक दें रात के सन्नाटों
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Read Moreआ रहे बादल एकाएक, पवन-पलने पर सिर को टेक. जा रहे जल्दी ये उस पार, ढूंढते आज जगत का
Read Moreदुनियाँ में इतने गम क्यों है हर आदमी परेशान क्यों हैं यूँ तो हंसते हुए मिलते हैं लोग फिर अंदर
Read Moreसब्ज़ी मंडी में कल देखा, तरबूज़ों का ढेर, लाल-लाल तरबूज़ा लेकर, घर पर आई हो गई देर. ममी बोलीं, ”कल
Read Moreदुःख उसने कभी किसे कहा था??? पीड़ा हर-पल झेल रहा था । जीवन भर स्वाधीन रहा….. शासन भी है खेल
Read Moreहाँ! मैं गरीब हूँ, गरीब हूँ मैं….सच है नहीं मेरे पास ऐसी कोई चीज – जिससे तुम मेरी तरफ हाथ
Read Moreहट गई लाल बत्ती नेताजी की कार से तो हुए बहुत निराश जायेंगे ससुराल तो कैसे पड़ेगा रोब उनकी साली
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