बोधकथा

सकारात्मकता

एक कौआ था बहुत ही खुश मिजाज था।जब देखो कांव कांव कर के उड़ता था और अपनी खुशी जाहिर करता था।ज्यादातर वह राजा के महल के आसपास उड़ा करता था।एक दिन राजा कुछ ज्यादा ही परेशान था।कुछ शासकीय समस्या थी जैसे उन्होंने कौए को गाते फुदकते देखा तो गुस्से से पागल हो गया,सिपाहियों को हुक्म […]

बोधकथा

बात धर्म की

एक बार की बात है महाभारत युद्ध के बाद अर्जुन रमण करने निकले बीच में आई एक नदी से उन्होंने अहंकार वश मार्ग मांगा। मार्ग न देने पर नदी को सुखा देने की चेतावनी दी। अर्जुन के बाण के ताप से नदी देवी रूप में प्रकट हुई, अर्जुन ने पुनः निकलने के लिए मार्ग देने […]

बोधकथा

गुरुर का नशा

इंसान खाली हाथ आया था,और खाली चला जायेगा।यह अकाट्य सत्य है। इसे कोई झुठला नही सकता।और यह भी परम सत्य है कि इस धरती पर जो जन्म लेता है, उसकी मौत भी निश्चित है।अर्थात जो आएगा उसे जाना भी पड़ेगा। लेकिन इंसान का गुरुर इतना सर चढ़ कर बोलता है कि उससे आगे सारी दुनिया […]

कविता बोधकथा

सीडीएस विपिन रावत साहब एवं अन्य शहीदों को विनम्र श्रद्धांजली

देश ने हीरा खोया है   सुन के इस मनहूस खबर को,चप्पा-चप्पा रोया है बहुत बडा़ नुकसान हुआ है,देश ने हीरा खोया है   जाने वाले जाते-जाते कई उम्मीद खतम कर गए सबके मन को दर्द दे गए,सबकी आंखें नम कर गए उनकी यादों में भारत का जर्रा-जर्रा खोया है बहुत बडा़ नुकसान हुआ है,देश […]

बोधकथा

मनुष्य  जन्म  का अर्थ 

एक दरिद्र ब्राह्मण यात्रा करते-करते किसी नगर से गुजर रहा था, बड़े-बड़े महल एवं अट्टालिकाओं को देखकर ब्राह्मण भिक्षा माँगने गया, किन्तु उस नगर मे किसी ने भी उसे दो मुट्ठी अन्न नहीं दिया। आखिर दोपहर हो गयी ,तो ब्राह्मण दुःखी होकर अपने भाग्य को कोसता हुआ जा रहा था, सोच रहा था “कैसा मेरा […]

बोधकथा

देहाती दुनिया

दुनिया को ‘आँचलिकता’ से रूबरू करानेवाले हिंदी के पहले उपन्यासकार शिवपूजन सहाय थे। उनकी औपन्यासिक कृति ‘देहाती दुनिया’ की प्रथम पांडुलिपि लखनऊ में गायब हो गई थी, फिर उन्होंने ‘देहाती दुनिया’ की दूसरी पांडुलिपि लिखा, किन्तु संतुष्ट नहीं होने के बावजूद 1926 में यह उपन्यास प्रकाशित होते ही छा गया। देहात, बज्जिका तथा ‘और भी […]

बोधकथा

सात्यिकी अन्वेषण

‘संविधान’ में अपने देश का नाम भारत और India है, इसके अलावा अन्य किसी पर्यायार्थ नाम का जिक्र नहीं है । भारत से भारतीय का बोध पाते हैं, India से Indian का । अगर ‘हिंदुस्तान’ पुकारते हैं, तो स्वभावश: यहाँ के सभी निवासी जो यहाँ रहते हैं, वो ‘हिन्दू’ है ! हिन्दू सब धर्मों का […]

बोधकथा

डायनामाइट वाली ‘शांति’ का नोबेल !

दुनियाभर के सभी पुरस्कारों में श्रेष्ठ नोबेल पुरस्कार के संस्थापक और ‘डायनामाइट’ जैसे विध्वंसक पदार्थ की खोजकर इसके लिए प्रायश्चितता पाने आजन्म विचलित रहे और अविवाहित रहे अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसम्बर को विश्व और संयुक्त राष्ट्र इसे ‘मानवाधिकार दिवस’ के रूप में प्रतिवर्ष मनाते आ रहे हैं। ध्यातव्य है, नोबेल का जन्म भी […]

बोधकथा

बोध बुद्ध मेंहीं कथा

भारत सहित नेपाल, भूटान आदि देशों तक प्रसारित संतमत परम्परा के प्रख्यात संत महर्षि मेंहीं के पितृ घर सिकलीगढ़ धरहरा, जो पूर्णिया जिला में है और जन्मभूमि यानी ननिहाल खोखसीश्याम, जो मधेपुरा जिला में है, किंतु उनकी कर्मभूमि कटिहार जिले के नवाबगंज और मनिहारी रही। नवाबगंज में संतमत सत्संग मंदिर 1930-31 में स्थापित हुई थी, […]

बोधकथा

कहानी : तीन बातें             

हजारों वर्ष पहले की बात है। सिवनीगढ़ में राजा मनोरम देव का राज्य था। अपने पिता महाराज आदित्य देव से प्राप्त राजसिंहासन में बैठे उन्हें बीस बरस बीत चुके थे। उन्होंने अपने पिता का राज्य संचालन अपनी आँखों से देखा था। शांत, सुख-समृद्ध व वैभवपूर्ण राज्य था सिवनीगढ़; पर अब पता नहीं ऐसा क्या हुआ […]