.एक राज्य के लोग एक वर्ष के उपरान्त अपना राजा बदल देते थे. राजा को हटाने के दिन जो भी व्यक्तिसबसे पहले शहर में आता था तो उसे ही नया राजा घोषित कर दिया जाता था..पहले वाले राजा को सैकड़ों मील में फैले जंगल के बीचोबीच छोड़ आते थे जहां खूंखार जानवर थे. बेचारा अगर […]
बोधकथा
बोधकथा – चतुराई
बहुत समय पहले की बात है तब कि जब बहुत हरियाली थी वन थे बहुत सारे जंगल थे ऐसे ही एक जंगल में जिसका नाम सुदर्शन वन था बहुत सारे जीव ,पंछी, शेर, चीते, खरगोश और गिलहरियाँ सभी बड़ी ही मित्रता से रहते थे । उसी वन में तीन गिलहरियाँ एक बड़े से पीपल के […]
अच्छे मौक़ों को हाथ से न खिसकने दें
पुराने समय की बात है। एक कुम्हार अपने गधे के साथ जंगल से होकर गुज़र रहा था। उसे रास्ते में पड़ा हुआ एक चमकीला पत्थर दिखलाई दिया। उसे वह पत्थर अच्छा लगा। उसने वह पत्थर उठाया और अपने गधे के गले में लटका दिया। वह थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि सामने से एक जौहरी […]
संगत का असर.
चोरी की नीयत से एक चोर राजा के महल में प्रवेश कर गया, उसे खबर थी की महारानी सोने से पहले अपना हीरो का बहुमूल्य हार पलंग के सिरहाने ही रख कर सो जाती है। चोर मौका देख कर महारानी के पलंग के नीचे छिप गया और महारानी के सोने का इंतज़ार करने लगा. बहुत रात […]
प्रेम
एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी औरत से एक युवा अक्सर संतरे खरीदता । अक्सर, खरीदे संतरों से एक संतरा निकाल उसकी एक फाँक चखता और कहता, “ये कम मीठा लग रहा है, देखो !” बूढ़ी औरत संतरे को चखती और प्रतिवाद करती “ना बाबू मीठा तो है!” वो उस संतरे को वही छोड़, बाकी […]
जीवन की उत्कृष्टता
एक बार एक स्वामीजी एक स्थान पर सत्संग के लिए पधारे। स्वामीजी आकर चुपचाप बैठ गए। लोगों द्वारा प्रवचन के लिए आग्रह करने पर स्वामीजी ने कहा कि मैं क्या बोलूँ, आप सब जानते हैं। जो अच्छा है उसे करो और जो बुरा है उसे मत करो, उसे त्याग दो। प्रवचनार्थियों में से एक स्वर […]
जीवन में छोटे अवकाश का महत्व
एक लकड़हारे युवक की कहानी है। लकड़हारा काफी मेहनती था। वह दिन में अवकाश के समय भी काम करता रहता और उन बुज़ुर्ग लोगों से उसे शिकायत रहती कि वे दिन में कई बार कुछ न कुछ पीने और गप्प हांकने के लिए बेवजह काम रोक कर समय नष्ट करते हैं। जैसे जैसे समय बीतता […]
चोरी का फल
गुरु नानक देव जी अपने दो शिष्यों के साथ भ्रमण पर निकले, जब बहुत देर हो गई चलते चलते, तब एक घने पेड़ की छाया में विश्राम करने के लिए रुक गए, दोनों शिष्यों का भी भूख प्यास से बुरा हाल था, गुरु जी ने अपने झोले से कुछ रसदार फल निकाले और शिष्यों को […]
एक मुट्ठी बीडी
मानू और छानू दोनों बचपन के मित्र हैं | लेकिन दोनों की सोंच और विचारधाराओं में जमीन-आसमान का अंतर है | मानू हर बात को गंभीरता से सकारात्मक रूप में लेता है तो छानू नकारात्मक व लापरवाह है | मानू हर कदम पर अच्छाई को देखता-परखता है वहीँ छानू हर चीज में बुराई देखता है […]
पिता
गुस्से से मैं घर से चला आया, इतना गुस्सा था की गलती से पापा के जूते पहने गए। मैंआज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा। जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे,तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है। आज मैं उठा लाया था, पापा का पर्स भी,जिसे […]