मेरी कहानी 190
हंपी को देखना मेरे लिए तो बहुत ही अच्छा हुआ है क्योंकि इस से मुझे एक संतुष्टि सी ही गई
Read Moreहंपी को देखना मेरे लिए तो बहुत ही अच्छा हुआ है क्योंकि इस से मुझे एक संतुष्टि सी ही गई
Read Moreवीरूपक्ष मंदिर में गाइड हमें एक ऐसे हिस्से में ले गया जो बहुत ही हैरानीकुन था। यह बहुत ही छोटे
Read Moreदूसरे दिन सुबह को हम जल्दी तैयार हो गए क्योंकिं हम ने हम्पी देखने जाना था। होटल की कैंटीन से
Read Moreसुबह उठे और मशवरा करने लगे कि आज कहाँ जाना था तो मैंने कहा जसवंत ! इतने दिन हो गए
Read Moreमाँ बताती हैं मैंने अपनी पहली कविता एक प्लेन क्रेश पर लिखी थी । वो अंग्रेजी में थी ,सन् 1972
Read Moreटैक्सी वाले ने जो स्क्रैच कार्ड हम को दिए थे, उन में तरसेम की हौलिडे की लाटरी निकल आई थी।
Read Moreकैलंगूट की हाई स्ट्रीट में आ कर हम दोनों तरफ के होटलों का ज़ायज़ा लेते जा रहे थे कि एक
Read Moreटैक्सी में बैठ कर हम फ्रांसिस एगज़ेविअर चर्च देखने चल पड़े। जब हम छुटियों पर होते हैं और घर से
Read Moreस्पाइस गार्डन मुझे तो इतना अच्छा लगा था कि इस की याद अभी तक आती है। पूरा गार्डन तो हमें
Read Moreबात 1977 की है जब आम चुनावों में श्रीमती इंदिराजी की हार हो गयी थी और श्री मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री
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