मेरी कहानी 81
जब मैंने काम शुरू किया था, उस समय बहुत से इंडियन पाकिस्तानी और जमेकन लोग बस्सों पे काम करने के लिए
Read Moreजब मैंने काम शुरू किया था, उस समय बहुत से इंडियन पाकिस्तानी और जमेकन लोग बस्सों पे काम करने के लिए
Read Moreलाली के साथ हमारी ट्रेनिंग खत्म हो चुक्की थी। सोमवार को मैंने वर्दी पाई ,सर पर हैट ली और घर
Read Moreदुसरे दिन हम फिर विक्टोरिया स्क्वायर चले गए। लाली हमारी इंतज़ार कर रहा था। लाली ने एक लड़के के गले
Read Moreडैडी जी इंडिया चले गए थे और धीरे धीरे मेरी ज़िंदगी की नई शुरुआत हो गई । काम पर मैं
Read Moreजब भी भारत की दीपावली के उत्सव की याद आती है, तो जगमगाते दीप, बिजली के रँगबिरंगी लट्टू, बाजारों में
Read Moreडैडी जी को को विदा करके जब मैं ने पैडिंगटन से ट्रेन पकड़ी तो मेरे मन में बहुत खियाल आ
Read Moreबहादर, उस का छोटा भाई हरमिंदर जिस को हम लड्डा बोलते थे (लड्डा उस का बचपन का पियार का नाम
Read Moreउस समय की कुछ मजेदार बातें मैं अगर नहीं लिखूंगा तो यह कहानी पूर्ण नहीं होगी और आज के बच्चे,
Read Moreबहादर को भी काम मिल गिया था और हमारी जेब में पैसे आने लगे थे जिस से हम को हौसला
Read Moreपब्ब से निकल कर हम तीनों मैं सुच्चा सिंह और गोरा फोरमैन फाऊंडरी की तरफ जाने लगे । फाऊंडरी पौहंच
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