मेरी कहानी – 71
आज जब यह ऐपिसोड मैं लिखने बैठा तो कुछ देर पहले की एक बात याद आ गई। वोह यह कि
Read Moreआज जब यह ऐपिसोड मैं लिखने बैठा तो कुछ देर पहले की एक बात याद आ गई। वोह यह कि
Read Moreमंगलवार को रात की शिफ्ट ख़तम करके आये गियानी जी तकरीबन एक वजे उठे थे और मुझे कहने लगे ,”गुरमेल
Read Moreजब वोह सिंह मुझे छोड़ कर गए तो मैं ने एक पीस ब्रैड का और एक पीस मीट का खा
Read Moreकराची से हम चल चुके थे .वोह पाकिस्तानी लड़का मेरे साथ बैठा था लेकिन वोह इतना नहीं बोल रहा था
Read Moreएक दिन बहादर मुझे मिला और मैंने उसे पासपोर्ट के बारे में पुछा तो वोह कुछ परेशान सा लग रहा
Read Moreपासपोर्ट ऑफिस में बहुत लोग बैठे थे और दस मिनट तो हर एक को अफसर से बातें करने में लग
Read Moreतहसीलदार का काम हो गिया था और यह बड़ा काम था किओंकि मैंने सुन रखा था कि यह तहसीलदार बहुत
Read Moreट्रैवल एजैंट के दफ्तर से निकल कर और कुछ मठाई ले कर मैं गाँव आ गिया लेकिन मैंने माँ को
Read Moreकोई वक्त था जब बिदेसों में लोग बहुत कम जाया करते थे। मेरे प्राइमरी और मिडल स्कूल के ज़माने में
Read Moreनंदेड़ हज़ूर साहब देखने के बाद हम मुंबई के लिए ट्रेन में बैठ गए। सफर लम्बा था। मुंबई पहुंच कर
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