लघुकथा – कहीं दूर जब दिन ढल जाये
जया सूर्यास्त के समय छत की मुडेर पर खड़ी प्राकृतिक वातावरण में दिन भर की स्कूल की थकान उतारने का
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Read Moreबहुत मिन्नतें करने पर हम कुछ दिन रहने के लिए चंपा के पास आए थे. चंपा की भानजी मिन्नी भी
Read Moreअभी-अभी विन्नी के मोबाइल पर उसके ऑफिस से मैसेज आया था- ”मुबारक हो, 27वीं कंपनी भी अब आपकी देखरेख में
Read More“दी! दीदी! सामने देखिए वह वही हैं न , जिन्हें समाज की दुनिया में लाने के लिए हम इनके आशियाने
Read Moreसुबह -सुबह चाय की चुस्कियों के बीच राहुल ने पत्नी सोना से अचानक पूछा – “क्या तुमने कभी किसी से प्यार
Read Moreमोहन और लसिका साथ एक ही कॉलेज में पढ़ते है । मोहन को कूची, रंगों से प्यार है तो लसिका
Read Moreहर एक लड़की की भांति उसकी शादी भी गृहस्थ धर्म निभाने और सुख-समृद्धि की राह पर अग्रसर होने के लिए
Read Moreबहुत प्रतीक्षा के बाद अभी-अभी पारिजात का छोटा-सा मैसेज आया था- ”मां मैं दो दिनों में पहुंच रहा हूं, आप
Read Moreप्रगति मैदान में पहुँचते ही शीला अचकचा गयी भीड़ को देख।आगे बढ़ी तो कई दुकाने लगी हुई थीं। किस में
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