लघुकथा – पेरिस्कोप
आज अनिमेष की खुशी का ठिकाना ही नहीं था. उसे पनडुब्बी-निदेशक का महत्त्वपूर्ण पद जो हासिल हुआ था. खुशी के
Read Moreआज अनिमेष की खुशी का ठिकाना ही नहीं था. उसे पनडुब्बी-निदेशक का महत्त्वपूर्ण पद जो हासिल हुआ था. खुशी के
Read Moreयह जानते हुए भी, कि यह गंभीर अपराध है, उसने खुद को रेप-पीड़िता बनाने वाले आरोपी को एक कमरे में
Read Moreअयोध्या नगरी के पास फैजाबाद में एक गरीब परिवार रहता था । दशरथ प्रसाद दिहाड़ी मजदूर था । वह एक
Read Moreनिशांत को सहसा उस दिन की याद आ गई, जब सीमा को प्रसव के लिए वह अस्पताल लाया था. सीमा
Read Moreरोज की तरह आज भी सैर के समय वह व्यक्ति मिला. यहां कोई ”नमस्ते” या ”राम-राम” समझने वाला तो है
Read Moreएक घर में चार बेटे बहुएँ ,उनकेबच्चे सभी चारों अपने अपने घर के कोनों में रहते थे| घरके बड़े मुखिया
Read Moreएक लंबे अर्से के बाद उषा और निशा का मिलन हुआ… नदियों का आपस में मिलना आसान है , लेकिन
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