रिश्तों की डोर
आज रीता को समझ ही नहीं आ रहा था, कि सबको अपना मुंह कैसे दिखाए. अफसोस की शिकन उसके चेहरे
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Read More”मैं प्यास हूं.” अकेलापन मेरा साथ कभी छोड़ता नहीं था, भीड़ में भी हमेशा मेरे साथ रहता है, वह तो
Read Moreजो दुनिया मेंआया है उसे जाना ही है, यह नियम अटल है. उसकी भी सांसें उखड़ रही थीं. बुझने से
Read More“अरे देखकर नही चलता !अन्धा है कया ?” क्या कहाँ तूने?”अरे अन्धा होगा तेरा बाप ! “चल गाड़ी से निकल
Read Moreलगभग दो महीने से मणिका ब्राउन और ग्रीन प्यालों में चाय बना रही है. दोनों प्यालों में वह बराबर दूध
Read Moreबालकथा प्लास्टिक का दानव बबलू, मुन्नू, राजू, टिंकू, बबली, पिंकी, पप्पू, बंटू और बंटी सभी घर के पास मैदान में
Read Moreशाम का समय, पसीने ने पूरे शरीर पर हमला कर रखा है, तिस पर डूबती किरणें दिन भर की थकान
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