लघुकथा

दोष

संजना कई दिनों से अनमने -सी थी। अपने पिता और भाइयों से थोड़ी नाराज। पिछले कुछ दिनों से न तो पिताजी का फोन आ रहा था ना ही किसी भाई भाभी का ।वह सोच-सोच के परेशान हो रही थी ऐसा उसने क्या कर दिया की मायकेवालों ने उसकी सुध ही लेनी छोड़ दी। मां के […]

लघुकथा

दिखावे का नक़ाब

“पोती का पहला जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक सुलभा बहन जी। आज की बर्थडे पार्टी में तो आपने जी भर कर पैसा खर्च किया है। कितना सुंदर आयोजन ,वाह!!सचमुच रौनक लगा दी आज तो आपने।बहुत ही किस्मत वाली है आपकी बहू जिसे रंजीत जैसा सुंदर,समझदार,कामयाब पति और आप जैसे सास ससुर मिले जो लड़का लड़की में […]

लघुकथा

कहां गये वो दिन

आज बहुत दिन बाद  मंजरी मायेके जा रही थी । वह देश से ही बाहर थी । जब भारत लौटी अपने सब काम से निपट कर सोचा चलो बहुत साल बाद आई हूँ पूरे परिवार से मिलती हूँ । फोन पर सबकी बाते पता चल जाती थी फिर भी लम्बी बात नहीं होती थी । […]

लघुकथा

लघुकथा – सवाल

सास के कहने पर बहू कन्या पूजन के लिए मंदिर पहुँची और एक प्यारी-सी आठ साल की बच्ची को दंडवत प्रणाम किया। “भगवती ! मेरी इच्छा पूरी कर दो।” बहू ने मन ही मन कहा। “तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो!” बच्ची ने सर पर हाथ रखकर कहा। “नहीं भगवती ! मेरी इच्छा का कोई मोल […]

लघुकथा

लघुकथा – पिता की कमीज

पुत्र अक्सर देखता कि पिता एक ही कमीज को धो-धोकर पहन रहे हैं। कमीज काफी पुरानी हो गई है। पिता उसी कमीज को पहनकर काम पर जाते हैं।         पुत्र हर महीने अपनी पगार से पिता के लिए कमीज लेने की सोचता पर घर के सौ खर्चे में ले नहीं पाता। कभी […]

लघुकथा

बेदर्द

“तुम्हारा अंश मेरी कोख में आ गया है विश्वास!” फोन पर अनिमा थी। “क्या बक रही हो? आहिस्ता बोलो! पत्नी पास वाले कमरे में है। तुमने सुरक्षा नहीं बरती थी क्या ?” “विश्वास! मैं पति से अलग रहती हूँ। ऐसी वस्तुएँ  कैसे और कहाँ से लाऊँ? आने से पहले तुमने बताया भी नहीं था। जब […]

लघुकथा

आधुनिक ट्रिक

दास बाबू रिटायर हुए, एक उम्र बीत गयी, आफिस में हुकुम चलाते, घर में धौंस दिखाते हुए। घर मे हमेशा से एक गिलास पानी भी स्वयं से नही लेते, बाहर से आते ही, आवाज़ लगाते, “रवीना, कहाँ हो, कमरे में छुपकर मत बैठो, पानी लाओ, फटाफट चाय बनाओ, नहा कर आता हूँ।” उनकी हमेशा से आदत […]

लघुकथा

धृतराष्ट्र अभी भी जिंदा है

“रंडी, साली को जवान बेटे की भी चिंता नहीं।” सत्तर साल के बूढ़े की जुबान कैंची समान चल रही थी। “किसे ये गालियाँ दी जा रही हैं ? अश्लीलता की भी हद है!” मौके पर  पहुँचे एक राहगीर ने बगल में खड़े पड़ोसी  से पूछा। “अपने ही चचेरे भाई की विधवा बहू को गाली दे […]

लघुकथा

दस किलो बादाम

“सेठ जी, एक किलो बादाम दीजिए.” सेठ छगनलाल ने दुकान वाले सेठ मगनलाल को कहा. सेठ जी के सहायक उनके बादाम देने ही लगे थे कि एक साधारण-सा दिखने वाला आदमी भी बादाम लेने आया और दस किलो बादाम देने के लिए कहा. “दस किलो बादाम!” सेठ जी को हैरानी हुई. बादाम लेने के बाद […]

लघुकथा

जुगाड़

“कुछ लोग कहते हैं कि औरत का कोई घर नहीं होता है,लेकिन सच तो ये है कि औरत के बिना कोई घर घर नहीं होता है.” “अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस” के अवसर पर छुटभैये नेता मनोहरलाल का भाषण चल रहा था. एक-एक कथन पर तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज रहा था. “नारी पूजनीय होती है, […]