परख
सुनयना ने अपनी खास सहेली सुलेखा से पूछा कि-“इस बार तो यह तय माना जा रहा था कि तुम्हारा रिश्ता
Read Moreजब भी मैं बाजार जाती हूं, दुकान पर कोई-न-कोई आदमी थैली देने के लिए गिड़गिड़ा रहा होता है. न तो
Read Moreमोहनी के घर श्राद्ध पक्ष की तैयारियां चल रही थी। जेठ -जेठानी, देवर -देवरानी सभी अम्मा -बाबूजी की पसंद नापसन्द
Read Moreकक्षा में अध्यापक जी बच्चों को वृक्ष की उपयोगिता के बारे में बता रहे थे…. “बच्चों क्या तुम्हें पता है?
Read Moreउसका गुस्सा उसके नशे से अधिक बलशाली हो गया था ,क्योकि उसे पता चल गया था कि उसकी पत्नी को
Read More#पासवर्ड “सौरभ! तुम आज आफिस नही आये।” “हाँ सर, बताया तो था कुछ काम है।” “अच्छा याद आया। काम निपटाकर
Read Moreसंवेदना और संप्रेषण के नायक सुदर्शन, नमस्कार, आपकी धारदार-पैनी कलम से हमारे ब्लॉग ‘जन्मदिन का प्यार, लाया आपके लिए एक
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