अंतर्मन की पुकार
दोनों भक्त मंदिर प्रांगण में खड़े थे. पहला कुछ देर तक मंदिर की भव्यता और मूर्ति की सौम्यता को निहारने
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Read Moreलाला धनीराम कलुआ को अंतिम चेतावनी देते हुए बोला ,” देख कलुआ ! तुझे मैं एक मौका और दे सकता
Read Moreमहानगर में बसा मुकेश अपनी रोजमर्रा के जीवन में इतना व्यस्त रहता कि उसे साँस लेने की फुरसत ही नहीं
Read Moreआज बहुत समय बाद वह आराम से सोई है. उसका मन शांत व मस्तिष्क तनाव रहित हो गए थे. निद्रा
Read Moreशहर के एक आलीशान होटल में सजी महफ़िल , मद्धम मद्धम बज रहीं जगजीत सिंह की ग़ज़लें, हल्की नीली रोशनी
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