लघुकथा : गोश्त की दुकान
“ओ मैनाबाई…! एक नहीं, आज डेढ़ किलो तौल दो। मेहमान आये हैं हमारे यहाँ।” रामरुज मैनाबाई
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Read Moreरामेश्वर और नीतू की शादी उनके लिए खुशियों की सौगातें लेकर आई थी. अभी हनीमून की तैयारी ही चल रही
Read Moreचौराहे पर भीड़ नहीं है आज। आसमान पर काले बादल छाए हैं- बारिश की भी संभावना है। गुमटा भी बैठा
Read Moreदरवाजे पर दस्तक हुई। वह नींद में था। दस्तक फिर हुई। वह उठा और दरवाजा खोला। भूख खड़ी थी। वह
Read Moreहेलो! जी मैं “अलाने” शहर से तूफ़ान सिंह ‘झंझावात’ बोल रहा हूँ। क्या मैं “फलाने” शहर के कुपित कुमार ‘अग्नि’
Read Moreसरला पिछले एक हफ़्ते से बहुत परेशान थी, ख़ुशमिज़ाज सरला घरेलू कामों को मन लगाकर करती । सारे घर को
Read Moreसाहित्यिक मंच फलक (फेसबुक लघु कथाएं)
Read Moreठंडी हवा
Read Moreगाय पर लट्ठ लगभग फैंकते हुए वह चिल्लाई-“छोरी,जा छुड़ा उस डायन से! घास की दो पुली मुंह में भर ले
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