डोरबेल की आवाज सुनके शिप्रा ने जैसे ही दरवाजा खोला .. आदित्य उसके सामने खड़ा था। जैसा कि इंसान के बोलने ..समझने से पहले ही आँखें बहुत कुछ बोल , सुन समझ और समझा जाती हैं.. यानि शिप्रा और आदित्य को पता था कि दोनों से गलती हुई है.. दोनों में से किसी ने बात […]
कहानी
वसीयत
मनीष कबीर को लेकर घर आ गया। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कबीर ज़िद कर रहा था वापिस रिक्शा चलाने की लेकिन मनीष ने उसकी एक नहीं सुनी और अपने बंगले के अतिथि कक्ष में ले जाकर उसका सामान रख दिया। सामान के नाम पर भी एक छोटे से थैले में उसके एक जोड़ी […]
चिट्ठी वाले भैया
रवि जब हाल में पहुँचा, कवि सम्मेलन आरंभ हो चुका था। उसके आगमन की सूचना संचालक महोदय द्वारा दी गई, तो सबकी निगाहें रवि की ओर उठ गईं। उसे आयोजक समिति के पदाधिकारियों द्वारा मंच पर ससम्मान ले जाया जा रहा था कि एक युवा कवयित्री ने आकर उसके पैर छुए। उसने आशीर्वाद देते […]
रिश्ते का सूत्र
पिछले दिनों मेरा सबसे प्यारा दोस्त कनक मुझसे मिलने आया। उसके चेहरे की उदासी देख मैं समझ गया कि कनक कुछ परेशान सा है। मैंने पूछा भी, तो टाल गया। मगर मैं भी कहां छोड़ने वाला। वैसे भी वो मुझसे हर छोटी बड़ी बात साझा किया करता है। रात में मैंने उससे फिर अपना […]
श्रद्धा
राजस्थान के जयपुर शहर में मनु एक टेलीकॉम कंपनी में जॉब करता है। एक दिन श्रद्धा मनु की कंपनी में जॉब के सिलसिले में आती है। हल्के गुलाबी टॉप और जीन्स पहने हाथ में बैग लिए जैसे ही उसने मनु के ऑफिस में भीतर कदम रखा मानो कमरे का टेम्परेचर बदल गया, हवा में मानो […]
कर्जबोध
पिछले दिनों एक यात्रा के दौरान अपने एक पाठक से अचानक अप्रत्याशित मुलाकात हो गई। हुआ कुछ यूँ कि एक प्रतिष्ठित पत्रिका में मेरी एक कहानी छपी थी। जिसे मैं यात्रा के दौरान पढ़ रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने पत्रिका बंद कर कुछ सोचने लगा। सामने सीट पर बैठे 30-32 वर्षीय व्यक्ति ने मुझसे […]
मोहपाश
प्रीति एक धनवान घर की लड़की थी जो मांगा वोही हाजर वाला हिसाब किताब था उनके घरका।तीन बड़े भाई, दो बड़ी बहनें और माता पिता के अलावा विधवा बुआजी सब हमेशा ही उसका पक्ष लेते थे।इसलिए उसके विरोध में कोई कुछ सोचता ही नहीं था।जो चाहिए हाजिर,जो कहा वह सही यही थी उसकी जिंदगी। […]
मोहपाश
कच्ची कचनार सी सुंदर और नाजुक महक बारहवीं पास करते ही काॅलेज जाने के लिए उतावली हो रही थी। जवानी का पहला पायदान अक्सर फिसलन वाला होता है, इसलिए महक की मम्मी सोनल को बेटी की बहुत चिंता रहती। जवान ऊपर से बेहद खूबसूरत और ज़माने की नीयत तो जानते ही है। सोनल हमेशा एक […]
अपनापन
पिछले दिनों कवि/साहित्यकार रिशु अपने मित्र लवलेश के घर गया। यूँ तो दोनों का एक दूसरे के घर काफी पहले से आना जाना था। मगर लवलेश की शादी में रिशु अपने एक पूर्व निर्धारित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में जाने की बाध्यता के कारण शामिल न हो सका था। रिशु जाना तो नहीं चाहता था, मगर […]
पिता पहचान हैं
पिता पहचान हैं प्रिय पुत्र राहुल, सदा खुश रहो, आज फेसबुक पर तुम्हारी कविता ”पिता पहचान हैं” पढ़ी. तुमने लिखा है- “पिता पहचान हैं पिता आकाश हैं, आकाश में धूप हैं, धूप में कवच हैं. पिता मित्र हैं, मित्रों में सुदामा हैं, पिता ही श्रीकृष्ण हैं. पिता उपनिषद हैं, उपनिषदों में कठोपनिषद हैं, कठोपनिषद में […]