कहानी : पागल
यूँ तो होते हैं मुहब्बत में जुनूँ के आसार और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं पहाड़, पठार, झील,
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Read More“नन्दू दीईई…..” बाजार में नन्दिनी को अचानक देखा तो खुद को रोक नही पायी ऋचा। “नन्दू दी रुकिए ज़रा,” अपनी तरफ
Read Moreदस दिन हो गए थे केशव को घर आए। आया तो वो पिता की मृत्यु पर था, पर वापिस जाने
Read More‘अब आपकी फाईल नहीं मिल रही तो मैं क्या करूँ ? इतना पुराना रिकाॅर्ड है । बेसमेंट में स्टोर रूम
Read Moreशीला आज उम्र के पचासवें पढ़ाव पर आकर अपनी दादी माँ को बहुत याद करती है। जिसका मुख्य कारण यह
Read Moreमहीने के अंतिम रविवार को अक्सर मैं मोरान के शिवालिक वृद्धाश्रम में जाती हूँ और वहां रह रहे माता-पिता के
Read Moreयह ज़िंदगी काफ़ी उलझनों का ताना-बाना लिए हमें विवशता के भंवर में डुबो देती है। जिससे उबरने में वक़्त लगता
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