घाट-84, रिश्तों का “पोस्टमार्टम”
आज फ्रेशर पार्टी के कारण युनिवर्सिटी में खूब चहल-पहल थी ..हाल नये पुराने चेहरों से खचाखच भरा था। स्टेज पर
Read Moreआज फ्रेशर पार्टी के कारण युनिवर्सिटी में खूब चहल-पहल थी ..हाल नये पुराने चेहरों से खचाखच भरा था। स्टेज पर
Read Moreहर वर्ष की तरह इस बार भी होली आई रंगों की बहार लेकर। रंगो के संग संग खुशियों की बहार
Read More‘पिंकी … पिंकी … इधर आ …’ सपना चिल्लाई। ‘क्या है … क्यों चिल्ला रही है … क्या हो गया
Read Moreशिक्षा का महत्व सन्तोष ! मीना और अपने बच्चों के साथ खुश था किसी चीज की कोई कमीं नहीं थी
Read Moreमज़दूर की बेटी की क़िस्मत में रानी बनना कहां से लिखा होता! उसके बाबा ने अपना और पत्नी का मन
Read More“आ-रही – हूं – -” हुमैरा व्हीलचेयर डगराते हुए दरवाज़े पर आई और अपनी स्टीक से चिटखिनी गिराते हुए दरवाज़ा
Read More‘कहाँ जा रहा है तू ?’ गंजू ने दौड़ कर जाते हुए संजू से पूछा। ‘मन्दिर’ दौड़ते दौड़ते ही संजू
Read More‘ढिंचक … ढिंचक …’ कुछ इसी प्रकार की आवाज़ से ध्यान भंग हुआ था नये बंगले में रहने आये परिवार
Read Moreकल रात तुम आये थे! कितना असहज सी हो गयी थी, पल दो पल को ! जानती हूं जरूर कोई
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