कहानी : बाँग देता नहीं मुर्गा
रोज-रोज, सुबह ही सुबह, जोर-जोर से बाँग देकर पुरे गाँव को जगाने वाला मुर्ग़ा दो दिन से न दिखाई
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Read More“अरे भाई भोलानाथ कँहा चल दिए इतनी जल्दी में ?” नत्थू ने एक हाथ में रोटी का टिफन दूसरे हाथ
Read Moreनेरुल में जानकी ने समुद्र के किनारे कम्पनी के चार कमरों वाले फ्लेट को अपनी इच्छानुसार व्यवस्थित रूप से सजा
Read Moreमानस पटल पर महाभारत काल की घटना याद आती है जब गुरु द्रोणाचार्य ने उपेक्षित जाति के एकलव्य के हाथ
Read More“अब पोते को पालती, पहले पाली पूत” …वाह! क्या सच्चाई बयान करती कविता है |’ सत्यप्रकाश जी कविता पढकर भाव-विभोर
Read Moreओह! …ब्यूटीफुल! कितना खूबसूरत नजारा है , ऐसा लगता है जैसे मैं किसी और लोक में पहुँच गई हूँ ”
Read Moreआज जो कदम मैं उठाने जा रही हूँ शायद उसके पीछे अपने पापा के लिए बचपन से दबे मेरे रोष
Read Moreशादी की बीसवीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। संसार की दृष्टि
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