उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 27)
24. नियुक्त 1299 में मंगोलो ने डुतुलुग ख्वाजा की अधीनता में दो लाख की सेना के साथ दिल्ली सल्तनत पर हमला
Read More24. नियुक्त 1299 में मंगोलो ने डुतुलुग ख्वाजा की अधीनता में दो लाख की सेना के साथ दिल्ली सल्तनत पर हमला
Read More23. धिक्कृत अभिलाषा मलिका-ए-हिंद (कमलावती) ने खुद को पूर्णरूप से सुल्तान के कदमों में निसार कर दिया। अलाउद्दीन ने उसे
Read Moreशाम तीन बजे मुझे पर्सनल विभाग में बुलाया गया था, वहाँ कई औपचारिकताएँ पूरी हो गयीं, लेकिन एक बात पर
Read More22. गंधर्व परिणय कामज्वर के बाद जब देवलदेवी की चेतना लौटी तब वह लाज से सिकुड़-सिकुड़ गई। अपने प्रिये के छूने
Read Moreअध्याय-12 : बदलते रास्ते जो था मेरा हाले दिल वो बयां हुआ जुबां से। जो कहेंगे अश्के-रंगी वो अलग है
Read More21. प्रथम अभिसार निश्चित समय पर पिता की आज्ञा से अंगरक्षकों से सुरक्षित राजकुमारी देवलदेवी जालिपा माई के उत्सव में सम्मिलित
Read Moreइसी बीच एक दिन मेरे भाई डा. राममूर्ति सिंघल भी मुझसे मिलने जेल में आये। मेरा काफी दिन तक पत्र
Read More20. प्रीत की बेला राजा कर्ण देव को अपने राज्य से भागे छः साल हो गए। अपने उद्योग और देवगिरी के
Read Moreतब किसी अध्यापक की पत्नी ने या शायद कुलपति की बेटी ने दिल्ली दरबार में फरियाद की। मुझे अच्छी तरह
Read More19. प्रतिशोध की पहली चिंगारी ”आह यह दर्द, काफिर का खंजर था या कड़कती हुई बिजली। खबीस ने पेट फाड़ डाला।
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