कविता

खुद पर विश्वास जीवन का सुरूर है

जीवन तब तक, जब तक आस है, आस ही भरोसा है, विश्वास है, बड़ी नाजुक है डोर विश्वास की, तब तक बंधी है, जब तक विश्वास है. विश्वास है अजस्त्र स्त्रोत का उत्साह, विश्वास है एक दूसरे की परवाह, विश्वास पर ही अवलंबित है, स्नेह-प्रेम-प्यार का अनवरत प्रवाह. विश्वास है जीवन का उजियार, विश्वास-दीप जलते […]

कविता

ख़ुद्दारी ज़रूरी है जीने के लिए

ख़ुद्दारी ख़ुद्दा की प्रीत है, जीवन का सुरीला संगीत है, ज़रूरी है जैसे जल तरु के लिए, ख़ुद्दारी जीवन की ज़रूरी रीत है. ख़ुद की पहचान है ख़ुद्दारी, सुकून का सरोकार है ख़ुद्दारी, जगह दो ख़ुद्दारी को अपने पहलू में, इज़्ज़त का आधार है ख़ुद्दारी. अपेक्षित है ख़ुद्दारी मनुजता के लिए, खुद से मुहब्बत का […]

गीत/नवगीत

गीत “‘रूप’ बदलता जाता है”

मोम कभी हो जाता है, तो पत्थर भी बन जाता है।दिल तो है मतवाला गिरगिट, ‘रूप’ बदलता जाता है।।—कभी किसी की नहीं मानता,प्रतिबन्धों को नहीं जानता।भरता है बिन पंख उड़ानें,जगह-जगह की ख़ाक छानता।वही काम करता है यह, जो इसके मन को भाता है।दिल तो है मतवाला गिरगिट, ‘रूप’ बदलता जाता है।।—अच्छे लगते अभिनव नाते,करता प्रेम-प्रीत […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

खिला जब फूल चम्पा चमन चाहत के नजारो में कि जैसे एक नया कोपल निराला बन बहारो में| मिले जब ताजगी आती महक भी मन लुभाती सी चला लेकर सुनाने को मग्न मन भी निहारों में| घुमे खग भी दिखे उड़ते निकल अपनी पनाओ से बुला सब को सुनाये गीत मनभावन इशारों में| भरी प्यारी […]

कविता

यूपी बदल गया है

छब्बीस से सत्ताइस मार्च तक संदेह के बादल छाए रहे आशंकाओं की बयार बहती रही आरोपों के साथ बयान वीरों के तीर कमान से निकलते रहे। गाड़ी पलटेगी, हत्या हो जायेगी कोर्ट की आड़ में कुछ अनहोनी हो जायेगी साबरमती से प्रयागराज की यात्रा नये गुल खिलायेगी, मुझे जेल से जेल की नहीं अंतिम यात्रा […]

कविता

अपनत्व में पारदर्शिता

अपनत्व भाव है भावना है आत्म साधना है, अपनत्व किसी से भी हो सकता है पर हर किसी के लिए नहीं हो सकता खून के रिश्तों में ही अपनत्व हो ऐसा भी नहीं होता। जब मन मिल जाते हैं आपसी विश्वास बढ़ते जाते हैं। तब अपनत्व स्वमेव जन्म ले लेता है। अपनत्व किसी के बीच […]

कविता

काले बदरा

गगन पे विचरण करने वाले बदरा वर्षा दे मेरे प्याले में तूँ       मदिरा जब जब सावन में तुम    आयेगा जाम से जाम मिलकर टकरायेगा गम को भुलाने में मेरी मदद तुँ करना मयखाने में जाम शराब का है भरना साकी मेरी रूठ कर मायके गई।    है सौगात तन्हाई की भेंट कर […]

गीत/नवगीत

गीत “आँधियों में दीप अब कैसे जलेगा”

गीत “आँधियों में दीप अब कैसे जलेगा”—रौशनी का सिलसिला कैसे चलेगा?आँधियों में दीप अब कैसे जलेगा?—कामनाओं का प्रबल सैलाब जब बहने लगा,भावनाओं का सबल आलाप ये कहने लगा,नेह का बिरुआ यहाँ कैसे पलेगा?आँधियों में दीप अब कैसे जलेगा?—लोच है जिनके बदन में, वो सभी रह जायेंगे,जो तने-अकड़े हुए हैं, वो सभी ढह जायेंगे,आचरण-व्यवहार अब कैसे […]

कविता

प्रश्न

अंतस में सदैव रहती है, सज्जनता और सहनशीलता क्या कारण है ? सम्बन्धों में, फिर भी बनी हुई है कटुता अंतस में है सदा उपस्थित, प्रेम दया करुणा और ममता क्या कारण है ?फिर भी मानव, मानवता को धूमिल करता अंतस में है सदा विराजित , चेतन ज्योति पुंज आशा का क्या कारण है ? […]

कविता

कैसा अभिमान करें

कैसा अभिमान करे ________________ कलुषित मन की मलीनता पे ,कैसा अभिमान करे | मानवता बिसराकर मानव प्रभु का अपमान करे | ईश्वर ने सृष्टि बसाई तब सौंदर्य बिखेरा था – दोहन करने को अरे मनुज क्यों कर श्रमदान करे | चौरासी लाख योनियों में जब, भटका तब यह तन पाया – करके कुकर्म मनुजाद बने […]