सृजन का नव दीप
सृजन का नव दीप जलाकर निरुत्साह के तिमिर को भगाती रहूँ साहस के सिन्धु से माँ शारदे काव्य सागर में
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Read Moreदेखता हूँ…अपने आप में .. मेरे अंतरंग में भेद – अभेद मंगलकारी चेतना क्रांति का सौध शांति की सुषमा हर
Read Moreनेताजी ने जैसे ही कहा भाइयों, बहनों और मितरों, मुझे याद आ गया 43 बी सी का महान दार्शनिक सिसरों,
Read Moreसत्य-सनातन धर्म स्थली,अपना ये हिन्दुस्तान हैविश्व गुरु और धर्म गुरु का ये, मेरा देश महान है।वेद,गीता,उपनिषद का,होता जहाँ अमृत ज्ञान
Read Moreअभी तो आधी रात है, गली में कुत्ता भौंक रहा है। जरूर कोई बात है, पर ये न समझो की
Read Moreपरिंदों से सीखो कैसे नापना गगन रहते हैं हर परिस्थिति में मगन अपने में ही हमेशा रहते हैं मस्त न
Read Moreअच्छा पहले ही बताना था कि मूर्खों को भी जगाना है, वो जिनके पास पहले से बहाना है, सारे सोये
Read Moreहम हैं कामगार, अपने देश का सूत्रधार,परिश्रम ही हमारा कर्म, देश को उन्नत बनाना हमारा धर्म।हम है भारत माँ के
Read Moreमशहूर हम तो हुआ करते थे मैफलों को सजाने के लिएदासतान ग़मों की बन गैए हैं हम देखते ही देखतेबात
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