कुण्डली/छंद

कविताकुण्डली/छंद

अहीर छंद “प्रदूषण”

अहीर छंद “प्रदूषण” बढ़ा प्रदूषण जोर। इसका कहीं न छोर।। संकट ये अति घोर। मचा चतुर्दिक शोर।। यह दावानल आग।

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कविताकुण्डली/छंद

32 मात्रिक छंद “जाग उठो हे वीर जवानों”

समान सवैया / सवाई छंद / 32 मात्रिक छंद जाग उठो हे वीर जवानों, तुमने अब तक बहुत सहा है।

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