कुंडलिया छंद ( विवेकानंद जी )
तन पर शोभित था सदा,जिनके भगवा रंग।उनकी वाणी सुन सभी ,हो जाते थे दंग।हो जाते थे दंग , देख कर
Read Moreतन पर शोभित था सदा,जिनके भगवा रंग।उनकी वाणी सुन सभी ,हो जाते थे दंग।हो जाते थे दंग , देख कर
Read Moreअपना भारत देश है,दुनिया में सिरमौर।बात न मानो और की,देखो करके गौर।देखो करके गौर,लोग हैं गजब निराले।दे देते हैं जान
Read Moreक्यों हलाल पर मचा है, चारों ओर बवालटेंशन में क्यों दिख रहे सारे नटवरलालसारे नटवरलाल,ताल से ताल मिलाएंधर्मों के महिपाल,
Read Moreजो भी सत्ता में आएगा अपने करतब दिलाएगाजाग रहे हैं अब मतदाता इसीलिए मतदान सुस्त है लुटा रहे हैं जमकर
Read Moreनिज भाषा को छोड़कर, दूजी रहे अपनाय। दूजी भाषा के तहत, पिता डैड कहलाय। पिता डैड कहलाय, मात कहलाये मम्मी।
Read Moreधन सबसे अनमोल है, गुरुजन का आशीषगुरुजन सम हैं मात पित, गुरुजन हैं सम ईशगुरुजन हैं सम ईश, ज्ञान का
Read More(1) करना मत तुम भेद अब,बेटा-बेटी एक। बेटी प्रति यदि हेयता,वह बंदा नहिं नेक।। वह बंदा नहिं नेक,करे दुर्गुण को
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