कुण्डली/छंद

कविताकुण्डली/छंद

छंद : मधुशाला

विधान : 16/14=30,अंत 112/22 प्रथम, द्वितीय, व चतुर्थ चरण तुकांत,तृतीय चरण स्वतंत्र   आज सभी जन हुए लालची,छल कुदरत से

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कुण्डली/छंद

कुण्डलियाँ

(बृजभाषा में प्रथम प्रयास) गाड़ी लाडी और की, मन कूँ सदा लुभाय चाहे चोखी आपनी, पर  मन  मानत नाय पर 

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