कुण्डली/छंद

कुण्डली/छंदपद्य साहित्य

मनहरण घनाक्षरी (होली के रंग)

मनहरण घनाक्षरी “होली के रंग” होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम, मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है।

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