कैसे -कैसे-कुंडलियां छंद
1-कैसे -कैसे मित्र ये ,मुख पर मीठी बात । अवसर को लेते भुना ,फिर देते आघात ॥ फिर देते आघात,सदा
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Read Moreकलियुग चाहत करता नर । भूषण भूषित रत्नाकर । सूरज किरणें हरती तम । कविवर शारद कविता वर । ======
Read Moreभारत के धर्म – ज्ञान का प्रकाश ले चले हैं । धर्म वाली संसद पहुँचने की चाह है ।। कल
Read Moreकणकण है बिखरा जगत, धरती करें पुकार माँटी माँटी पूछती, कहाँ चाक कुंभार कहाँ चाक कुंभार, सृजन कर दीया-बाती आज
Read Moreमाया ने हरि से कहा, श्याम आज क्यों मौन । चाह लिए राधा फिरे , दोषी जग में कौन ।
Read Moreमदन छंद या रूपमाला छंद एक अर्द्धसममात्रिक छन्द है, जिसके प्रत्येक चरण में 14 और 10 के विश्राम से 24
Read More(1) पाखण्डी पाखण्ड का, रखे न कोई लेख सट्टे के बाजार में, लेखा जोखा देख । लेखा जोखा देख, लुटे
Read Moreलहरें उठें समुंदरी, सूरज करें प्रकाश नौका लिए सफर चली, मोती मोहित आस मोती मोहित आस, किनारे शोर मचाएँ बादल
Read Moreसबकी झोली भरें माँ, रहे न खाली हाथ रोजी रोटी कठौता, पुलकित रहे संगाथ पुलकित रहे संगाथ, मातु करो कृपा
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