मनहर घनाक्षरी छंद
मनहरण घनाक्षरी छंद 1. छाये रहे घनश्याम, आये नहीं घनश्याम जाने किस ओर गये, जाने कहाँ बरसे अमिय प्रेम सागर,
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Read Moreपञ्च-चामर छन्द में लघु -दीर्घ [१२ x ८ =24] होते हैं, सोलह १६ वर्ण यति ८, ८ होता है मापनी=12
Read Moreताटंक छंद—-१६ +१४=३० मात्रा के गाल अंत २२२ मगण से होता है वैलेंटाइन ड़े दुनियाँ मे – प्रेम तरंग उठाया
Read Moreनयनों में प्यास लिए, मुख मृदु हास लिए चहकत झूम झूम जैसे हो कजरिया । मधुमाती अबला सी, रसवंती सबला
Read Moreपल में उमड़ी मन में उमड़ी, सबके दिल को पहचान गई। जग जीत गई मन डोल उठा रस प्रीति लसे
Read Moreसन पचास लागू हुआ, अपना शासन तन्त्र पर्व छब्बीस जनवरी, कहलाया गणतन्त्र कहलाया गणतन्त्र, विधान बना भारत का है अधिकार
Read Moreकिरीट सवैया(आठ भगण_ 211× 8) लेखक नायक लेख सजोवत प्रेम महीं रस गावत नारद शेष महेश गणेश मनावत प्रेम सदा
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