मन हरण घनाक्षरी
मंद सुगंध पवन, भरे आज प्रेम घन, सघन घनघोर में, व्यथा सुन लीजिए।
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Read More1. सावन महीना आ गया, मन है भाव विभोर। पपीहे कुहू-कुहू कर रहे, नृत्य कर रहे मोर। नृत्य कर रहे
Read More-1- देश प्रेम को जगा न जाति भेद में मलीन। रंच मात्र राग द्वेष के न हो कभी अधीन।। पेट
Read Moreचोरी नैनों से करे, लूटे मन का चैन। जब तब पलके मूंद कर, दिन को कर दे रैन ।। दिन
Read Moreयोग से निरोग बने,बने रहें स्वस्थ सब, सबको ही योग का, प्रण लेना चाहिए । भारत जनक है, योग की
Read More(1) अंतर में शुचिता पले,तो हो प्रभु का भान। वरना मानव मूर्ख है,कर ले निज अवसान।। कर ले निज अवसान,विधाता
Read Moreजब प्रेम दिखा तब रूप सजा,जब रूप सजा तब प्रेम महान। मन है चहका,दिल है बहका,जब दे नित ही कुछ
Read More1. राणा प्रतापऔर उनके वीर ~~~~~~~~~~~~~~~~ शौर्य के प्रचण्ड पिण्ड कहो मारतण्ड चण्ड, तोड़ दिग्गजों की तुण्ड ठण्ड झेलने लगे
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