क्षणिका
नित्य भोर का नया उजाला,नित्य निशा का है अंधियार,हार को ‘गर उपहार बनालें,खुशियां मिलती असीम-अपार,नित्य करें तुलना ‘गर खुद से,चमके
Read Moreपहले मिलते थे वो बड़ी गरमजोशी से न जाने कैसी ब्यार चली जो रूख बदल गया सनम तुम चाहो तो
Read Moreआख़िर क्या कमी है , अंधेरे में ही चेतना प्रकाश का महत्व है | तुम स्वयं से मार्ग चुनो !
Read Moreतू ही मेरी इबादत,तू ही मेरी इनायत,एक प्रच्छन्न-सी उम्मीद है,तेरे मिलने की,न भी मिल सके तो,न कोई गिला-शिकवा,न कोई शिकायत.—
Read Moreहमने वस्त्र की नग्नता पर विचार किया, किन्तु विचार की नग्नता का क्या? जो दिन-प्रतिदिन समाज में मानवता को चुनौती
Read Moreमेरे दिल के करीब है,ये बारिश का पानी।बारिश की हर बूंद,मुझसे कहती है मेरी कहानी।ये बारिश ही तो है,जो मुझे
Read More